कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ तदा एव काश्चन परीक्षाः समाप्ताः भवन्ति। शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी - राम भजन त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । यहि अवसर https://spencerlqpbe.wikikali.com/835372/the_ultimate_guide_to_shri_shiv_chalisa_lyrics